भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें हमेशा से आम आदमी के बजट पर सीधा असर डालती रही हैं। हर बार जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो आम जनता से लेकर ट्रांसपोर्ट सेक्टर तक हर किसी की जेब पर असर पड़ता है। लेकिन अब उम्मीद की एक नई किरण दिखाई दे रही है – अगर पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाया गया, तो कीमतें सीधे ₹75 प्रति लीटर तक आ सकती हैं।
हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर अहम बयान दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि केंद्र सरकार अब इस दिशा में राज्यों के साथ मिलकर ठोस कदम उठाने की तैयारी कर रही है।
पेट्रोल-डीजल की मौजूदा कीमत कैसे तय होती है?
वर्तमान में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर केंद्र और राज्य दोनों टैक्स लगाते हैं:
- केंद्र सरकार: एक्साइज ड्यूटी
- राज्य सरकारें: वैट (VAT)
इन टैक्सों की वजह से ही एक लीटर पेट्रोल या डीजल की कीमत में ₹25-₹40 तक का टैक्स शामिल होता है। इससे तेल की वास्तविक कीमत के मुकाबले आम जनता को बहुत महंगा पेट्रोल-डीजल खरीदना पड़ता है।
GST के तहत आने से क्या होगा फायदा?
अगर पेट्रोल और डीजल को GST के तहत लाया जाता है, तो ऊपर बताए गए दोनों टैक्स खत्म हो जाएंगे और सिर्फ एक टैक्स लगेगा – GST, जिसकी अधिकतम सीमा 28% हो सकती है।
संभावित गणना के अनुसार:
- बेस प्राइस (क्रूड रेट + डीलर मार्जिन): ₹50
- 28% GST: ₹14
- अंतिम कीमत = ₹64-₹75 के बीच
यानि जनता को सीधे ₹20-₹25 प्रति लीटर की राहत मिल सकती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान क्या कहता है?
वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा कि,
“पेट्रोल-डीजल को GST के अंतर्गत लाने का निर्णय केवल केंद्र सरकार नहीं ले सकती, इसके लिए राज्यों की सहमति आवश्यक है। यदि राज्य सहमत होते हैं, तो इस दिशा में ठोस पहल हो सकती है।”
इस बयान से स्पष्ट है कि सरकार इच्छुक है लेकिन राज्यों का सहयोग जरूरी है।
GST लागू होने से आम जनता को क्या मिलेगा लाभ?
- तेल सस्ता होगा – ₹20-25 की राहत
- ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट कम होगी – इसका सीधा असर खाने-पीने और अन्य चीजों की कीमतों पर पड़ेगा
- मुद्रास्फीति (Inflation) घटेगी
- समान टैक्स सिस्टम से पारदर्शिता बढ़ेगी
- एक देश, एक टैक्स का सपना और मजबूत होगा
लेकिन क्या है इसमें बड़ी चुनौती?
- राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर VAT से भारी राजस्व कमाती हैं। अगर GST लागू होता है, तो उन्हें ये आय नहीं मिलेगी।
- इसलिए राज्यों को इसके लिए मुआवजा देना या कोई समाधान निकालना होगा।
क्या जनता को जल्द मिल सकती है राहत?
अगर आने वाले महीनों में GST काउंसिल में सहमति बनती है, तो 2025 में पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जा सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह राज्यों की सहमति पर निर्भर करेगा।
निष्कर्ष:
अगर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहमति बन जाती है और पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जाता है, तो देश की जनता को एक बहुत बड़ी राहत मिल सकती है। न केवल तेल सस्ता होगा, बल्कि इसका असर देश की पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।
तो अब इंतज़ार है उस ऐतिहासिक फैसले का, जो आम आदमी के चेहरे पर मुस्कान ला सकता है – ₹75 में पेट्रोल!